आप के इंतज़ार की
एक छोटी सी उदासी
मेरी आँखों में चमकने लगती है।
धुंधला जाते हैं
आसमान
मौसम
और सामने वाली खूबसूरत चीज़ें,
किसी गहराई से
एक वीरान राग सा
बजता है
जिसकी दिशा का
मैं
कोई आभास नहीं पाता।
केवल शब्दहीन स्मृतियाँ
तुम्हारी गंध का
साथ देती रहीं,
उस
अजनबी रात में
वहाँ
देर तक बरसात होती रही
हालाँकि
मौसम बाहर सूखा था
और
इस तरह का एक
अंधड़ झेलने के बाद
मैंने जाना कि
साथ निभाना मुश्किल काम है।
2 फरवरी 1980
शैलेन्द्र तिवारी
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