तुमने ही बनाये
यह पेड़, पहाड़ और ये नदियाँ।
तुम्हीं ने भर दी इस बाग में
इतनी सारी रंग बिरंगी तितलियाँ।
तुमने ही बसा दी है, यहाँ
मीठे बोल बोलने वाली ढेर सारी चिड़ियाँ।
और फिर चुपके से तुम
छुप गए अपनी मां के आँचल में।
मैं ढूँढता रहा तुम्हें
पास में दूर में
भीतर बाहर
पर ढूंढ नहीं पाया।
एकाएक कुछ हुआ
एक बिजली सी कौंधी
और लगा तुम मुझ से
बात करते हुए मेरे
ह्रदय में आ बसे हो।
फिर दूसरे ही पल लगा
तुम अपना सुन्दर अयन लिए हुए
मां की गोदी से निकलकर
मेरी बाँहों में आ गए हो
टुकुर टुकुर ताकते
कहते हो मुझे दिखाओ
मेरे पहाड़ मेरी नदियाँ
मेरे पेड़ मेरी तितलियाँ
मेरे फूल पत्तियां
मेरी चिड़ियाँ
फिर तीसरे पल
तुम्हें तुम्हारी चीज़ों को
दिखाते दिखाते लगा मैं ही नहीं था वहां
वहां थे तुम
तुम्हारी ढेर सारी रंगीन तितलियाँ
नदियाँ पेड़ पत्तियां
फूल और मीठे बोल
बोलती चहकती अनेकों चिड़ियां।
शैलेन्द्र तिवारी
Innocence captured intact.
ReplyDeleteSo beautiful Shailendra. Sorry for stealing it and getting it published in school magazine in my name :).I feel every word you have written for our little Ayan. Thanks to Nonie for this wonderful gift to us.
ReplyDeletePapa thank you for this lovely poem on Ayan. Thank you for being you and thank you for being the best grandpa ever! :)
ReplyDeleteCongratulations Ayan best wishes. Today your result for 7th standard has come you are brilliant God bless you . Nana
ReplyDeleteCongratulations Ayan Your Venus lifts is getting popular all the best 👍
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