Tuesday, May 28, 2013

पहला पंछी






क्या देखी है तुमने कभी 
सूखे के दिनों में 
घोंसले तक बच्चों के लिए दाना लेकर 
पहुँचती एक प्रसन्न चिड़िया ?

देखा है क्या 
अनजान नदी के पार पड़े देवालय के 
किसी अपूजित देवता को आशीष 
देते हुए ?

क्या तुमने 
किसी बारूदीअपशकुन को 
फटते समय 
ज़ोर से अट्टहास करते 
सुना है ?

फिर किसलिए खोजते हो 
आसमान में 
होने और न होने का 
बेकार सा मतलब।

क्यों बनते हो 
बहस का हिस्सा 
अपने ठन्डे हांथों को जेबों में डाले 
प्रार्थनाओं की जुगाली से 
पेट भर लेने के बाद भी 
किस तरह खाली रह जाते हो?

बर्फ है बाहर 
और समा गया है 
शिराओं के भीतर तक 
कौन सा डर 
यह कैसा एहसास है
एक गहरे कुंए में डूब जाने जैसा 
बेचैनी से आकंठ भरा हुआ?

क्यों करवट बदलता है 
गर्भ के भीतर 
यह एक असुरक्षित 
क्षण 
क्या इसी जगह 
जन्म लेने वाला है 
सूरज 
क्या यहीं 
पंख फड़फड़ायेगा   
भोर को उड़ने वाला 
पहला पंछी?



10 सितम्बर 2004 


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